मालिश

मालिश

व्यायाम में बल लगता है, परन्तु जो अत्यधिक निर्बल है, या अति वृद्ध हैं, शक्तिहीन हैं, बिस्तर पर पड़े हैं, वे व्यायाम नही कर सकते है। उनके लिए मालिश बहुत उपयोगी है। इससे शरीर में जीवनी शक्ति का संचार होता है। तेल लगाकर मालिश करने से वह शीघ्र ही रोम कूपों द्वारा शरीर के भीतर पहुँच जाता है एवं बार-बार घर्षण करने से रक्त संचालन तीव्र होकर शरीर गर्म हो जाता है। यही कार्य हम व्यायाम के द्वारा करते हैं। इसलिए मालिश भी व्यायाम के अन्तर्गत आता है। पित्तप्रधान एवं वातप्रधान व्यक्तियो को मालिश बहुत लाभकारी होती है। गठिया के रागी को या अंग विशेष पर दर्द के रोगी को जहाँ दर्द हो वहाँ कुछ देर तक गोलाई में मालिश करनी चाहिए। मालिश में इतनी ही शक्ति लगानी चाहिए जिससे रोगी को आराम मिले और उसे कोई कष्ट न हो। मालिश करने में निपुर्ण व्यक्ति शरीर को धीरे-धीरे कूटते हुये, थपकी देते हुये
ऊपर से नीचे की ओर शरीर को रगड़ते हुए मालिश करते है।
वे शरीर को पूरी हथेली से गोल-गोल मलते हुए
अंगुलियों एवं चुटकियों से शरीर को दबाते हुए बहुत
अच्छी तरह से मालिश करते है। जिससे शरीर को
बहुत आराम मिलता है। मालिश से बुढापा, थकावट तथा वात रोग दूर होते है, त्वचा कान्तिमय हो जाती हैं, नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। इस प्रकार मालिश से अनेक लाभ होते है। बलशाली व्यक्तियों को भी सप्ताह में एक दिन मालिश अवश्य करानी चाहिए। गोद के बच्चो को माँ दिन में कई बार मालिश है क्योंकि बच्चा अधिकतर सोता रहता है उसके हाथ पाँव बहुत कम चलते है। फलस्वरूप शरीर में उचित रक्त संचालन नहीं हो पाता है इसलिए माता बच्चें को दिन में कई बार मालिश करती है। मालिश सरसों, तिल, जैतून के तेल या टेल्कम पाउडर से करानी चाहिए।
ग्रीष्म काल में टेल्कम पाउडर से सुखी मालिश करानी चाहिए। टेल्कम पाउडर की मालिश से भी अनेक लाभ होते है। प्रथम तो शरीर पर तेल की चिपचिपाहट नही रहती है। यह चिपचिपाहट गर्मी के दिन में बहुत उलझन पैदा करती है। दूसरे टेल्कम पाउडर चिकना होने के कारण मालिश करते समय हाथ सफलता पूर्वक फिसलता है। जिससे मालिश करने में शरीर को कोई कष्ट नही होता है। तीसरे पाउडर सुगन्धित होने के कारण शरीर भी सुवासित बना रहता है और पाउडर पसीना भी सोखता है। कुछ लोग आर्युवेदिक औषौधियों के महीन चूर्ण की भी मालिश कराते है। मालिश दूबले-पतले व्यक्ति को मोटा और बेडौल व्यक्ति को उचित अवस्था में लाता है। मालिश लगभग आधे घण्टे से एक घण्टे तक धीरे-धीरे करनी चाहिए।
जो लोग समय की कमी या अन्य कारणों से मलिश नही करा सकते उन्हें चाहिए कि प्रतिदिन स्नान के पूर्व या स्नान के दौरान अपने ही हाथो से शरीर को तेजी से रगड़ लेना चाहिए। ऐसा करने से उन्हे मालिश का लाभ मिल जाता है।

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