बरी

बरी

बरी के लिए धुवांस (उड़द की धोई का दरबरा आटा)को लिया जाता है। रात्रि मे इसे पानी से शहद जैसा गाढ़ा सान कर रख दिया जाता है। धुआस सानने मैं पानी अधिक लगता है। इसलिए सानने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।पानी कम रहने पर वह कड़ा हो जाता है और उसमें गांठे पड़ जाती हैं। दूसरे दिन प्रातःकाल उसमें कद्दूकस किया हुआ पेठा, दरबरा गरम मसाला, लाल मिर्च, और हींग भलीभाति मिलाकर फेट लेते हैं और धूप मे किसी कपड़े या चटाई पर बरी डालते है। बरी का आकार अपनी इच्छा पर निर्भर करता है।बरी के लिए धूप बहुत कड़ी होनी चाहिए। कड़ी धूप मे ही बरी फूलती है। यादि फेटाई कम हुई हो तो भी धूप कड़ी होने पर वह फूलेगी और सब्जी बनाने पर गल जायेगी। यदि धूप कड़ी नही है, तो सारा समान अच्छा होने पर भी बरी नही फूलेगी। इसलिए धूप का इसमे विशेष ध्यान रखना चाहिए। भारत मे अप्रैल, मई और जून मे कड़ी धूप होती है। इसी समय बरी बनाकर खूब सुखाकर रख लेनी चाहिए। भंडारण करने मे सावधानी रखनी चाहिए ताकि वह खराब न होने पाये।

बरी बनाती हुई महिला

कुछ लोग पेठे के स्थान पर देसी हरे सोये की पत्ती,टमाटर या लौकी मिलाकर बरी बनाते है। वही कुछ लोग बारीक कटी गोभी,मटर, टमाटर और सोये का मिश्रण मिलाकर बरी बनाते है। इसकी भी बरी अच्छी बनती है। परन्तु पेठे वाली बरी अधिक पंसद की जाती है। उर्द की दाल पित्तवर्धक होती है और पेठा पित्तनाशक होता है। मेरे विचार से इसीलिए उड़द की बरी में पेठा मिलाया जाता है ताकि उसका पित्तज दोष नष्ट हो जाए और स्वादिष्ट भी बने।

बरी की सब्जी बनाने के लिए बरी को तेल मे तलते है। और सब्जी छौकते समय उसे भी छौककर सब्जी जैसा बना लेते है।

सामग्री- उरद की धोई, जीरा, बड़ी इलायची, काली मिर्च, लौगं, जायफल, तज, धनिया, सोठ, पीपर, हींग, लाल मिर्च, कसा हुआ पेठा आदि।

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