चावल का पापड़ एवं कचरी
चावल का पापड़ और कचरी भी लोगों को खूब मन भाता है।यह अनेक प्रकार से बनता है।समूह द्वारा भी चावल का पापड़ और कचरी बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए चावल के आटे में हल्का सा बेकिंग पाउडर और अपने स्वाद के अनुसार नमक मिला लेते हैं। कुछ लोग इसमें जीरा या अजवाइन भी मिलाते हैं। तत्पश्चात चावल के आटे का तीन गुना पानी लेकर भगोने में उबालते हैं। जब पानी भली भांति उबलने लगे, तब पानी में चावल का आटा थोड़ा-थोड़ा करके मिलाते हैं और उसे चलाते जाते हैं। इसे चलाने में बहुत मेहनत लगती है, क्योंकि चावल का आटा पकने पर बहुत लसम पकड़ लेता है। इसे चलाते समय एक आदमी बर्तन को पकड़ता है और दूसरा चलाता है। लगभग आधा घंटा चलाने के बाद इसे ढक कर रख देते हैं और ठंडा होने पर इसे मसल कर छोटी-छोटी गोलियां बना कर पापड़ बेलने की मशीन में…
मूंग की दाल का पापड़
मूंग का पापड़ बहुत स्वादिष्ट होता है। वास्तव में केवल मूंग की दाल का पापड़ नहीं बनता है। क्योंकि मूंग की दाल बहुत खुश्क होती है और शुद्ध मूंग का पापड़ बनाने पर वह फट जाता है। इसलिए मूंग की दाल में लसम लाने के लिए उसमें थोड़ा उर्द की धोई का आटा मिलाकर साना जाता है।पापड़ बनाने में बहुत मेहनत लगती है। इसीलिए किसी कठिन एवं दुष्कर कार्य को करने के लिए कहावत कही गई है कि,” बहुत पापड़ बेलना पड़ता है” इसी कहावत से सिद्ध होता है कि पापड़ बनाना एक कठिन कार्य है। मूंग या उर्द का पापड़ बनाने के लिए पहले आटे में नमक आदि सारी सामग्री मिलाकरआटे को बहुत ही कम पानी में जाता है।पानी आटे में चारों ओर बराबर से मिल जाए इसलिए इसकी लोहे या लकड़ी के मुसल से खूब कुटाई और खिंचाई होती है। तत्पश्चात इसे पापड़ बेलने वाले बेलन (मूंग उड़द…
उरद का पापड़
यह Blackgeguminosae वर्ग का पौधा है। संस्कृत में इसे माषम कहते हैं और अंग्रेजी में Black gram या Black soya कहते हैं। आयुर्वेद के मतानुसार उड़द शीतवीर्य, गुरूपाक, स्निग्ध, रूचि, बल, पुष्ट, कफ, पित्त और मेदवर्धक है। यह वायुरोग, बवासीर, शूल और श्वास रोग मे हितकर है,जबकि रक्त पित्त मे हानिकारक है। समूह द्वारा उरद का पापड़ बनाया जाता है। यह अत्यतं स्वादिष्ट होता है। अन्य पापड़ो की तरह यह भी तलकर या भूनकर नाशते और खाने पर खाया जाता है। भारतीय उरद के पापड़ का विवाहादि उत्सवो मे बहुतायत मात्रा मे प्रयोग करते है। प्रयुक्त सामग्री- उरद की दाल, जीरा, कालीमिर्च, हींंग।
साबुदाने का पापड़ (फलाहारी)
यह तालादि कुल ( च्ंसउंम ) का डमजतवगलसवदतनउचीसप नामक वृक्ष के तने का गूदा है। यह मूल रूप से आटे के रूप मे होता है। जो कार्यशालाओ मे लाकर यंत्रो द्वारा छोटी – छोटी गोलियो के रूप मे ढाला जाता है। इसका वृक्ष मुख्यतः जावा, सुमात्रा और बोर्नियो मे होता है। आयुर्वेदानुसार साबूदाना द्वितीय वर्ग की गर्म और तर है। यह लघुपाक है और दुर्बल रोगियो के लिये पथ्याहार है। इसलिए दूध मे पकाकर इसे दिया जाता है। समूह द्वारा साबूदाने का पापड़ बनाया जाता है। यह सैन्धव लवण पर बनता है, इसलिए इसे व्रत मे भी खाया जाता है। इसे तेज आँच पर घी या फार्चून मे तला जाता है। घटक- साबूदाना,सेन्घानमक।
आलू की चिप्स
समूह द्वारा आलू की चिप्स भी बनायी जाती है। जो घी या तेल मे तली जाती है। यह सादी होती है। इसलिए इसमे उपर से नमक, चाट मसाला, रायता मसाला, जलजीरा या पानीपुरी मसाला मिलाकर खाया जाता है। नमक रहित होने के कारण इसे व्रत में भी प्रयोग कर सकता है। यह जालीदार भी बनती है।
आलू का पापड़
आलू ऊष्ण, तीक्ष्ण, लघुपाक, कफनाशक, बल एव वायुवर्धक है। यह धान्यक (स्टार्च) प्रधान खाद्य है। इसलिए डायबिटीज और वात रोगी को इसके सेवन से बचना चाहिए। हमारे समूह द्वारा सफेद आलू का पापड़ बनाया जाता है। यह धीमी आंच पर भूनकर या तेल मे तलकर नाश्ता या खाने के साथ खाया जाता है। हमारे यहाँ यह सेंधा नमक और मूंगफली के तेल मे बनता है।इसलिए इसे व्रत मे भी खया जाता है। बिना लाल मिर्च के सदापापड़ भी बनता है। अनेक मांह तक संग्रह करने के लिए इसे बीच-बीच में धूप दिखलाना पड़ता है और ठण्डा कर एयर टाइट कंटेनर में संग्रहित किया जाता है। किसी भी हालत में पापड़ में हवा नहीं लगनी चाहिए। हवा लगने से पापड़ मुलायम पड़ जाता है और उसे खराब होने का डर रहता है। घटक – आलू, जीरा, लालमिर्च कुटा, सेंधा नमक और मूंगफली का तेल। ऑर्डर देने पर यह मिर्चा रहित एवं…
पापड़ एंव चिप्स
भारत मे कई प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य बनाए जाते है। जिनमें पापड़ भी एक है। पापड़ कई प्रकार के होते है। जैसे, आलू का पापड़,मूं ग और उरद की दाल का पापड़ एवं साबुदाने का पापड़ आदि। समूह द्वारा उपर्युक्त सभी प्रकार के पापड़ बनाये जाते है।