सोए की कृषि यूरोप तथा भारत दोनों जगह होती है भारत में या सर्वत्र बोया जाता हैl इसकी सब्जी बड़ी स्वादिष्ट बनती हैl साथ ही उड़द की बरी आदि में भी यह प्रयुक्त होता है। उरद की बरी के समान इसकी भी बरी बनती है। विभिन्न नाम– सोया।बांग्लाा, पंजाबी- – दि तमिल-सत पष्पील सोफाआ

। मूंग Papilionaceae वर्ग का पौधा है। इसे संस्कृत में मुंदग और अंग्रेजी में Green grownया green soyaकहते हैं। आयुर्वेद के मतानुसार मूंग लघुपाक, उष्णवीर्य,रूखी, धारक, रुचिकर, कफ- पित्त नाशक, ज्वरनाशक, नेत्र हितकारी, शारीरिक बल और ओजवर्धक है। आचार्य सुश्रुत का कहना है कि सब प्रकार की दालों में मूंग की दाल गुणों में सर्वश्रेष्ठ हैं। अंकुरित मूंग कब्जनाशक है। अंकुरित मूंग में प्रोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है।मूंग की दाल का हलुवा बनता है जो बहुत ही स्वादिष्ट और बलवर्धक होता है। बरी के समान मुंगौरी भी बनाई जाती है। मुंगौरी मूगं की धोई (छिलका रहित दाल) की बनती है। इसके पाउडर को भी रात्रि मे पानी से सान कर रख दिया जाता है। दूसरे दिन प्रात: काल उसे फेट कर जीरा और हल्का हींग मिलाकर, चने या मटर के दाने के आकार मे धूप मे कपड़े पर डाला जाता है। इसकी भी सब्जी बरी की सब्जी के…

Read more

बरी के लिए धुवांस (उड़द की धोई का दरबरा आटा)को लिया जाता है। रात्रि मे इसे पानी से शहद जैसा गाढ़ा सान कर रख दिया जाता है। धुआस सानने मैं पानी अधिक लगता है। इसलिए सानने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।पानी कम रहने पर वह कड़ा हो जाता है और उसमें गांठे पड़ जाती हैं। दूसरे दिन प्रातःकाल उसमें कद्दूकस किया हुआ पेठा, दरबरा गरम मसाला, लाल मिर्च, और हींग भलीभाति मिलाकर फेट लेते हैं और धूप मे किसी कपड़े या चटाई पर बरी डालते है। बरी का आकार अपनी इच्छा पर निर्भर करता है।बरी के लिए धूप बहुत कड़ी होनी चाहिए। कड़ी धूप मे ही बरी फूलती है। यादि फेटाई कम हुई हो तो भी धूप कड़ी होने पर वह फूलेगी और सब्जी बनाने पर गल जायेगी। यदि धूप कड़ी नही है, तो सारा समान अच्छा होने पर भी बरी नही फूलेगी। इसलिए धूप का इसमे विशेष ध्यान रखना…

Read more

3/3