अलसी का लड्डू
इसे तीसी का लड्डू भी कहते है। चूंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में गोद भी पड़ता है,इसलिए इसे गोद का लड्डू भी कहते हैं।विभिन्न वर्गों एवं स्थानों के लोग अपने अनुसार इसमें अलग-अलग सामग्री मिलाते है। कुछ लोग इसमें भुनाआटा तो कुछ लोग इसमें खोया भी मिलाते हैं। हमारे यहां लड्डू में अलसी, तीखुर, गोद, देसी घी, मेवा, हल्दी, सोंठ और देसी गुड़ पड़ता है।ऑर्डर देने पर यह मिश्री का भी बनाया जाता है। यह लड्डू मधुर, स्निग्ध, गुरु,धातु,बलवर्धक एवं पौष्टिक है।यह नेत्ररोग, सिर रोग,बांझपन,शुगर,कैंसर त्वचा और बालों के लिए लाभकारी एवं रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाला है। इसमें प्रोटीन, ओमेगा 3,6 & 9 फैटी एसिड,आयरन, जिंक, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, विटामिन ए, ई एवं विटामिन बी कांपलेक्स भी पाया जाता है। यह Anti-oxidant एवं Anti-inflammatory गुणों से भी युक्त है। यह लड्डू शिरोरोग में लाभकारी है। लड्डू में प्रयुक्त अलसी और देसी घी दोनों दिमाग को बढ़ाने में सहायक…
मठरी
भारत और उसके आसपास के देशों में लोग नाश्ते के साथ मठरी, नमकीन आदि खाते हैं।चाय के साथ इसका खाने का आनंद कुछ और ही होता है। इसे बनाने के लिए मैदे में बेकिंग पाउडर, नमक, अजवाइन, कसूरी मेथी, मोयन (घी)मिलाकर खूब कडा सानते हैं।तत्पश्चात उसे गोल गोल चपटा बेलकर धीमी आंच पर तलते हैं और हल्का लाल होने पर निकाल लेते हैं। इस प्रकार मठरी तैयार होती है। इसे ठंडा होने पर किसी एयर टाइट डिब्बे में पैक कर रख लीजिए और चाय के साथ खा कर मजे लीजिए।समूह द्वारा इसी प्रकार मठरी तैयार की जाती है।
मीठा खुरमा
यह मिष्ठान वर्ग में आता है।भारत और उसके पड़ोसी देशों में यह बड़े चाव से खाया जाता है। इसे शकरपारा भी कहते हैं।यह गेहूं के आटे या मैदे से बनता है।इसे बनाने के लिए आटे में बेकिंग पाउडर और मोयन मिलाकर पानी से खूब कड़ा साना जाता है।इसके पश्चात इसके छोटे-छोटे चौकोर टुकड़े करके घी में तला जाता है।इसके ऊपर चीनी की चाशनी चढ़ा दी जाती है और मीठा खुरमा तैयार हो जाता है। यह भी बहुत स्वादिष्ट होता है। समूह द्वारा मीठा खुरमा बनाया जाता है।
खोये की गुझिया (होली विशेष)
भारतीय व्यंजनों में गुझिया का प्रमुख स्थान है। हिंदुओं में वसंत ऋतु में होली एक त्यौहार आता है, जिसमें गुझिया घर -घर विशेष रूप से बनती है।कहीं-कहीं यह नागपंचमी और दीपावली के त्यौहार पर भी बनती है। पहले समूह द्वारा केवल मसालों का ही संसाधन होता था। परंतु धीरे-धीरे उपभोक्ताओं द्वारा अन्य खाद्य सामग्रियों की मांग होती गई, जिसमें गुझिया भी एक है। यह भारत में अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न नामों से पुकारी जाती है।यह बहुत स्वादिष्ट होती है। गुझिया वास्तव में आटे या मैदे की लोई में खोया,मेवा और शक्कर भरकर घी में तलकर तैयार की जाती है।कुछ स्थानों पर इसमें खोए के साथ चने का सत्तू और चावल का आटा भी मिलाया जाता हैं,जिसे खरपुड़ी कहते हैं।कुछ लोग भरावन में बेसन की महीन बूंदी (शक्कर की चासनी में भीगी हुई)भरकर बनाते हैं।यह भी बहुत स्वादिष्ट होती है। उपर्युक्त सभी प्रकार की गोझियों को सूखी गुझिया कहते हैं। कहीं-कहीं…