व्यायाम में बल लगता है, परन्तु जो अत्यधिक निर्बल है, या अति वृद्ध हैं, शक्तिहीन हैं, बिस्तर पर पड़े हैं, वे व्यायाम नही कर सकते है। उनके लिए मालिश बहुत उपयोगी है। इससे शरीर में जीवनी शक्ति का संचार होता है। तेल लगाकर मालिश करने से वह शीघ्र ही रोम कूपों द्वारा शरीर के भीतर पहुँच जाता है एवं बार-बार घर्षण करने से रक्त संचालन तीव्र होकर शरीर गर्म हो जाता है। यही कार्य हम व्यायाम के द्वारा करते हैं। इसलिए मालिश भी व्यायाम के अन्तर्गत आता है। पित्तप्रधान एवं वातप्रधान व्यक्तियो को मालिश बहुत लाभकारी होती है। गठिया के रागी को या अंग विशेष पर दर्द के रोगी को जहाँ दर्द हो वहाँ कुछ देर तक गोलाई में मालिश करनी चाहिए। मालिश में इतनी ही शक्ति लगानी चाहिए जिससे रोगी को आराम मिले और उसे कोई कष्ट न हो। मालिश करने में निपुर्ण व्यक्ति शरीर को धीरे-धीरे कूटते हुये,…

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सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। अर्थात सभी सुखी हो, सुभी निरोग हो, सभी कल्याण देखें, किसी को किसी प्रकार का कोई दुख न हो।भारतीय दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरूषार्थ चतुष्टय की स्थापना की गई है। वास्तव में मनुष्य अपने जीवन में, यदि मोक्ष को छोड़ दिया जाए तो अन्य तीनों पुरुषार्थो का पालन पालन अवश्य करता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने इसे एक सुंदर कड़ी में पिरो कर सैद्धांतिक रूप दे दिया। जो पुरुषार्थ चतुष्टय कहलाया।यह पुरूषार्थ चतुष्टय व्यवहारिक रूप से सभी धर्मो में पाये जाते हैं। परंतु धर्म का पालन, अर्पोपार्जन , काम का उचित सेवन और ईश्वर की प्राप्ति यह सब स्वस्थ एवं सबल शरीर से ही सम्भव होते हैं। इसलिए शरीर को सबल बनाना मनुष्य का प्रथम एवं प्रमुख कर्तव्य है। अथर्ववेद में मनुष्य के लिए आदेश है। ‘ स्वक्षेत्रे अनमीवा विराज‘ अर्थात हे मनुष्य ! तू…

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Vyayam

शरीर स्वस्थ रखने के लिये सूर्योदय से कम से कम एक डेढ़ घण्टा पूर्व उठना चाहिए। उठकर ईश्वर का स्मरण कर उन्हें नमस्कार करके शौचादि क्रिया से निवृत होकर सर्वप्रथम व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे मालिश, टहलना, दौड़ना, योगासन, दण्ड-बैठक, दौड़कर खेलने वाले खेल, नृत्य एवं अनेक प्रकार के देशी-विदेशी व्यायाम। व्यायाम का कार्य है शरीर के आन्तिरक एवं वाहय अंगों को स्वस्थ एवं पुष्ट रखते हुए शरीर को बलशाली बनाना। व्यायाम नियमित रूप से प्रतिदिन करना चाहिए। व्यायाम ही ऐसी क्रिया है, जिससे शरीर स्वस्थ रह सकता है। ‘‘ पहला सुख निरोगी काया ’’

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