रायता मसाला

रायता मसाला

भारतीय भोजन में रायता बहुत प्राचीन काल से प्रयुक्त होता आ रहा हैं। रायता जठराग्नि को तीव्र करने वाला , पाचक और बलवर्धक होता हैं। रायता शुद्ध दूध की ताजी दही का होना चाहिए। बासी दही का रायता खट्टा और पित्तवर्धक होता हैं। रायता अनेक प्रकार के बनते हैं। जैसे बूंदी का रायता , लौकी का रायता, केले और मेवे आदि का रायता । यहाँ कुछ रायता बनाने की विधियाँ दी जा रही हैं-

बूंदी का रायता – बूंदी का रायता बनाने के लिए घर में शुद्ध बेसन की बूंदी छान लें या बाजार से अच्छे मानक ( ठमेज ुनंसपजलद्ध की छनी हुई बूंदी खरीद लें। यदि घर पर बूंदी छाननी हैं तो बेसन को शहद जैसा गाढ़ा घोलकर आधा घंटा रख दें। तत्पश्चात् बेसन को हल्का फेंटकर कढा़ई में घी गर्म कर तेज आंच पर बूंदी छानें। हल्का सुनहरा रंग होने तक बूंदी तले और उसके बाद कढा़ई से बूंदी निकाल लें। बूंदी को ठंडा होने दें। ठंडा हो जाने पर बूंदी को पानी में भीगों दें। लगभग 15 मिनट बाद बूंदी को पानी से निकालकर , दोनों हाथों से दबाकर उसका पानी निकाल दें। इस बूंदी को पहले से ताजी मठी हुई गाढ़ी दही मेें मिला दें । दही मथते समय ही उसमें हल्का रायता मसाला , जलजीरा मसाला या चाट मसाला मिलाकर मथें। आपकी बूंदी तैयार हैं। इसे हरी धनिये या पुदीने की ताजी पत्तियों से सजाकर सर्व करे।
यदि मथी हुई दही पतली हैं तो बंूदी को पानी में मत भिगोयें। इसे सीधे उसी पतली दही में मिलायें। इससे बूंदी भी भीगकर मुलायम हो जायेगी और दही का पतलापन भी समाप्त हो जाएगा। बूंदी का रायता हमारे चाट मसाले के साथ भी बहुत स्वादिष्ट बनता हैं।

लौकी का रायता – लौकी के रायते के लिए ताजी मुलायम लौकी लेकर उसका छिलका छीलकर कद्दूकस कर पेशर कुकर में उबलने के लिये रख दें। दो या तीन सीटी आने पर उसे आंच से उतार लें और स्वतः सीटी निकलने दें। अब लौकी के लच्छे को कुकर से निकालकर उसका उबला हुआ पानी लौकी से अलग कर लें और पानी को सुरक्षित रख दें। लौकी में मथी हुई दही और रायता मसाला या जलजीरा मसाला मिला दें। आपका रायता तैयार हैं। इसे प्लेट में निकालकर ऊपर ताजी हरी धनियें या पुदीने की पत्तियों से सजाकर सर्व करें। यह रायता सुपाच्य और अत्यन्त स्वादिष्ट होता हैं। लौकी के सुरक्षित रखें पानी से आप आटा सान सकते हैं। इसे आप गुनगुना पी भी सकते हैं।

ठीक इसी प्रकार कद्दू , गाजर और जिमीकन्द का रायता बनता हैं। जिमीकन्द को इमली की पत्ती के साथ या फिटकरी के साथ उबालना चाहिए। नही ंतो मुँह कटने लगता हैं। इन रायतों में रायता मसाला का उपयोग करना चाहिए।

खीरे का रायता पतले -पतले ताजे हरे खीरे लेकर उसी भली-भंाति धुलकर छिलका सहित कद्दूकस कर लें। ताजी मथी हुई दही में उसे मिला दें। दही मथते समय उसमें थोड़ा जलजीरा मसाला मिला लें। आपका रायता तैयार हैं। खीरे के रायते में जलजीरा मसाला मिलाना चाहिए। आप अपनी इच्छानुसार इसमें रायता मसाला या चाट मसाला भी मिला सकते हैं, परन्तु जलजीरे का बना खीरे का रायता बहुत ही स्वादिष्ट होता हैं। और ग्रीष्मकाल में शीतलता प्रदान करता हैं।
कहीं-कहीं खीरे को लौकी के समान उबालकर उसका रायता बनाते हैं। परन्तु यह रायता कच्चे खीरे के रायते के समान स्वादिष्ट और पोषक नहीं होता हैं। फल और मेवों को आग के सम्पर्क में कभी नहीं लाना चाहिए। इन्हें कच्चा ही प्रयोग करना चाहिए ।

बथुवे का रायता – बथुवा एक शाक होता हैं। भारत में यह जाड़ें के दिनों में खेतों में स्वयं पैदा होता हैं। यह गर्म होता हैं, खून में क्षारीयता बढ़ाता हैं और पेट साफ करता हैं। इसकी सब्जी भी बनती हैं। बथुवा देशी ही उपयोग में लेना चाहिए।

रायता बनाने के लिए ताजा देशी बथुवा लेकर छाँट बीनकर जल से भली-भांति धुलकर प्रेशर कुकर में उबाल लें। उबल जाने पर बथुवे कों दोनों हाथों से दबाकर उसका पानी निकाल दें। उस पानी का उपयोग आदि सानने मेें कर लें । अब पहले से ताजी गाढ़ी मथी हुई उबला हुआ बथुवा डालकर मसालें के साथ मिला लें और सर्व करें।

केले और अन्य फलों के मिश्रण का रायता – महाराष्ट के भुसावल नामक स्थान का केला विश्व प्रसिद्ध हैं। यह केला अत्यन्त स्वादिष्ट होता है। देखने में यह अर्द्ध गोलाकार होता हैं। पक जाने पर इस पर भूरे रंग की चित्ती पड़ जाती हैं और केले से सुगन्ध आने लगती हैं। जहाँ तक सम्भव हो भुसावल का केला ही लेना चाहिए।

पके हुए सुगन्धित केले लेकर उन्हे छीलकर पतले-पतले टुकड़ों में काट लें। ताजी जमी हुई दही में रायता मसाला डालकर उसे शहद जैसा गाढ़ा मथ लें। यदि रायता मीठा बनाना हैं तो दही के साथ थोड़ी चीनी भी मिलाकर मथे। अब कटे हुए टुकड़ों को दही में मिला दें। ध्यान रहे मिलाते समय टुकड़े टूटने न पायें। रायता तैयार है। प्लेट में रायता निकालकर ऊपर से हल्का रायता मसाला और किशमिश डालकर सर्व करें। यह रायता बहुत ही स्वादिष्ट होता हैं।
इसी प्रकार अनेक प्रकार के मिश्रित फलों का रायता भी बनता हैं। इसमें केला , अनार , अंगूर, सेब, नाशपाती, अनानास, खजूर, आदि फल पड़ते हैं। यदि सम्भव हो तो कश्मीर का सेब लेना चाहिए। यह सेब खाने में रुई जैसा मुलायम और बहुत मीठा होता हैं। अंगूर पीला , छोटे दाने का अण्डाकार अच्छा होता हैं। गोल दाने के अंगूर ठीक नहीं होते हैं। इसी प्रकार नाशपाती पीली और अनार भी लाल बड़ा लेना चाहिए। सभी फल साफ पानी से भली-भांति धुल लें। केले और अनानास का छिलका छीलकर उसे पतले-पतले टुकड़ों मे काट लें। अंगूर को गूच्छों से अलग कर उसका डंठल हटा दें। सेब और नाशपाती को भी पतले-पतले टुकड़ों में काट लें। खजूर को साफ कर उसके बीज निकालकर छोटे-छोटे टुकड़ों में कर लें। अनार का छिलका छीलकर उसका बीज निकालकर अलग रख दें। अब केले के रायते के समान दही मथकर तैयार कर लें। और अनार के दानों को छोड़कर शेष समस्त फलों के टुकड़ों को दही में मिला लें। रायता तैयार हैं। अब प्लेट में रायता निकालकर ऊपर से रायता मसाला छिड़कर अनार के दानों से सजाकर सर्व करें। यह चाट मसालें के साथ भी सुमधुर बनता हैं। यह रायता शक्कर मिली दही में स्वादिष्ट बनता हैं। इसी प्रकार उपर्युक्त फलों का अलग-अलग रायता भी बनता हैं।

मेवें का रायता – इस रायता के लिए ताल मखाना , किशमिश ,बदाम की गिरी , चिरौंजी , छुआरा , काजू और हरा पिस्ता आदि लेकर उसे साफ कर लें। किशमिश और छुआरा साफ पानी से धुल लें। मखानों को घी के साथ गुलाबी होने तक भुने। बादाम ,ंपिस्ता और छुआरा को पितला काट लें। अब कटें हुए बादाम , काजू , छुआरा , किशमिश को साफ पानी में भिगों दें। पानी इतना ही रखें कि सारे मेवेें उसमें डूब जायें। अधिक पानी न रखें। पिस्तों को महीन काटकर अलग रख लें।
अब ताजी जमी हुई दही को मथ कर उसे किसी महीन कपड़ें में बधकर किसी खूंटी आदि पर लटका दें। ताकि उसका पानी निकल जायें। कपड़ें के नीचे प्लास्टिक या स्टील का कोई बर्तन आदि रख दें ताकि पानी उसमें एकत्रित होता रहे। अब दही के वजन का आधा दूध मिलाकर उसे मथे। मथते समय उसमें थोड़ा शक्कर और रायता मसाला मिला ले। पिस्ता छोड़कर समस्त मेवें उक्त मिश्रण में मिला दें। प्लेट में रायता निकालकर ऊपर से गरी का बुरादा ,उसके ऊपर बारीक कटे पिस्ते से सजाकर सर्व करें। आप अपनी इच्छानुसार छोटी इलायची का पाउडर भी छिड़क सकते हैं।

रायता बनाने सम्बन्धी नियम

  1. रायता बनाने के लिए सदैव ताजे फल , मेवा या सब्जी आदि लेना चाहिए।
  2. सदैव ताजी जमी दही प्रयोग मे लेना चाहिये। बासी दही खट्टी और पित्तवर्धक होती हैं।
  3. लौकी , गाजर , बथुवा आदि का रायता बनाते समय इन्हें भली-भांति धुलकर उबालना चाहिए। उबले हुए जल को इससे अलग कर आटा आदि सानने में या पीने में प्रयोग कर लेना चाहिए। यह पानी कभी फेंकना नहीं चाहिए। क्योंकि सम्बन्धित सब्जी के समस्त पोषक तत्व इसमें विद्यमान रहते हैं। जो शरीर को बहुत लाभ करता हैं।
  4. रायता बनाते समय , रायता मसाला के स्थान पर जलजीरा मसाला , चाट मसाला , पानीपूरी मसाला का भी प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही भुना जीरा , सेंधा नमक और काला नमक का मिश्रण भी प्रयोग कर सकते हैं। खीरे के रायते में जलजीरा मसाला बहुत स्वादिष्ट लगता हैं। यदि रायता मीठा बनाना हैं तो दही मथते समय उसमे थोड़ी शक्कर मिला लें।

प्रयुक्त सामग्री – जीरा , बड़ी इलायची , लौंग , काला जीरा , सौंठ , पीपर , लाल मिर्च , सेंधा नमक , और काला नमक आदि ।

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