विश्राम

विश्राम

व्यायाम के साथ-साथ विश्राम का पूरा ध्यान रखना चाहिए। नींद शरीर की एक आवश्यक खुराक है। जिसे पूर्ण होना अति आवश्यक है। यदि नींद पूरी नहीं होती है तो शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता। नींद पूरी न होने से शरीर आलस्य से भरा रहता है। व्यायाम करने से शरीर के कोष टूटते है। उन टूटे हुये कोषों का पुर्निमाण निद्रा के द्वारा ही होता है। इस प्रकार नींद से शरीर का निर्माण होता है। बच्चा जब माँ के गर्भ मे रहता है तो वह चौबीस घण्टे सोता है क्योंकि उसके शरीर का निर्माण होता रहता है। पैदा होने पर भी लगभग एक वर्ष तक बच्चा अठ्ठारह से बीस घण्टे तक सोता है क्योकि उसके शरीर का लगातार संवर्धन होता रहता है।


वृद्धो को नींद कम आती है क्योंकि उनके शरीर की निर्माण प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। इसलिए नींद का पूरा ध्यान रखना चाहिए रात्रि को नौ-दस बजे तक अवश्य सो जाना चाहिए और प्रातः चार से पाँच बजे तक अवश्य उठ जाना चाहिए। यदि फिर भी आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो दोपहार में समय निकालकर निद्रा पूर्ण कर लेनी चाहिए। ग्रीष्म काल में दोपहर को भोजनोपरान्त लगभग आधे घण्टे सो लेना चाहिए। रात्रि में अधिक समय तक जागरण नाना प्रकार के रोगो को आमांत्रित करता है। रात्रि के प्रारम्भिक दो प्रहर अर्थात सायं छः बजे से रात्रि बारह बजे तक की नींद रात्रि के अन्तिम दो प्रहर अर्थात रात्रि बारह बजे से प्रातः छः बजे तक की नींद से आधिक लाभकारी होती है। रात्रि के प्रारम्भिक दो प्रहर में सोने से और अंतिम दो प्रहर में जागने से शरीर फुर्तीला और स्वस्थ बना रहता है, जबकि प्रराम्भिक दो प्रहर में जागने और अन्तिम दो प्रहर में सोने से शरीर रोगमय हो जाता है। इसलिए रात्रि को शीघ्रातिशीघ्र सो जाना चाहिए और प्रातः जल्दी से जल्दी उठ जाना चाहिए। एक बात और बतलावे यदि आप कभी किसी कारण से बहुत थक गये हो या अधिक रात्रि जागरण करना पडा हो तो भोजन के पहले आप आधे घण्टे सो ले उसके पश्चात उठने पर आपका शरीर एकदम हल्का हो जायेगा। जबकि होता इसका उल्टा है थके होने पर लोग भोजन करने के पश्चात सोते है इससे शरीर भारी बना रहता है।


असली नींद की यह पहचान है कि वह खूब गहरी स्वप्नरहित, आनन्दमय और मात्र सात या आठ घंटे की होती है। सोने वाले को पता ही नहीं रहता है कि वह है कहाँ। जिसे कहा जाता है कि घोड़ा बेच कर सोना। ऐसी नींद से व्यक्ति जब सोकर उठता है
तो उसका शरीर तरोताजा रहता है। एक नयी स्फूर्ति से युक्त रहता है। तनावग्रस्त रहने पर व्यक्ति को नींद नही आती है। अच्छी नींद के लिये व्यायाम और उचित अहार-विहार के साथ तनावमुक्ति की आवश्यकता होती हैं। आलस्य से हमेशा बिस्तर पर पड़े रहना भी ठीक नहीं रहता। कुछ लोग ऐसे होते है कि वे अच्छा खाते पीते हैं परन्तु फिर भी वे कमजोर रहते है। इसका कारण है उनका नाड़ीमण्डल कमजोर होता है। परन्तु व्यायाम और उचित आहार विहार से सबकुछ धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।

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