रस, विपाक, वीर्य, गुण एवं शक्ति

रस, विपाक, वीर्य, गुण एवं शक्ति

संसार में जितने भी खाद्य पदार्थ हैं, उनमें रस, विपाक, वीर्य, गुण एवं शक्ति ये पॉच प्रभाव होते है। रस वह होता है, जिसे हम अपने जीभ से अनुभव करतें है, कि अमुक खाद्य मीठा हैं, खट्टा है या नमकीन आदि। विपाक क्या हैं़, जब हम कोई चीज खातें हैं तो उसके पेट में जाने पर उसमें अनेक प्रकार के पाचक रस मिलते है और एक नया रस बनता हैं, उसे विपाक कहतें हैं।
ध्यान रहें मधुर और लवण रस प्रधान खाद्यों का जब विपाक बनता है तो वह मधुर ही रहता हैै। परन्तु खट्टे या अम्लरस प्रधान खाद्य पदार्थो का जब विपाक बनता हैं तब वह अम्ल ही रहता हैं। लेकिन कटु, तिक्त और कषाय ;कडु़वा, तीता और कसैलाद्ध इन तीनों रसों का विपाक कडु़वा ही रहता हैं।
खाद्य पदार्थ पचने पर भी अपना प्रभाव दिखलाते है। खाद्य पच जाने पर जो प्रभाप दिखलाता हैं उसे वीर्य कहते है।
गुण के अन्तर्गत अनेक प्रकार के गुण होते है, जैसे कोई खाद्य लघुपाक है, कोइ्र गुरूपाक, कोई स्निग्ध हैं तो कोई रूक्ष , कोई त्रिदोषनाशक हैं तो कोई त्रिदोषवर्द्धक आदि।
कभी-कभी यह देखनंे में आया है कि दो विभिन्न खाद्य रस , विपाक , वीर्य आदि में एक समान होने पर भी उन दोनों की क्रिया ;अन्तिम परिणामद्ध में अन्तर होता हैं। जैसे कैथा और ऑवला। कैथा और ऑवला रस , विपाक और वीर्य में एक समान गुण वाले हो कर भी दोनो अपना विपरीत प्रभाव दिखलाते है। कैथा त्रिदोषवर्द्धक है जबकि ऑवला त्रिदोषनाशक हैैै। प्राचीन मनीषियों ने इस तथ्य को खोजा और पाया कि प्रत्येक खाद्य के भीतर एक ऐसी शक्ति होती हैं जो सब बातों में समान होतें हुए भी अपना एक अलग गुण रखती हैं जिसे शक्ति कहते हैं। यह होती तो अति सूक्ष्म हैं परन्तु उतनी ही अधिक शक्तिशाली भी होती है, जोकि रस, विपाक और वीर्य आदि को पराजित कर अपना प्रभाव दिखलाती है। इसलिए यह शक्ति ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

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